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Nagdwar Yatra Chhindwara to Pachmarhi नागद्वार यात्रा छिन्दवाड़ा से पचमढ़ी मध्‍यप्रदेश

 

Nagdwara Yatra Pachmarhi
Nagdwar Yatra

नागद्वार / नागद्वारी यात्रा छिन्दवाड़ा  से पचमढ़ी मध्‍यप्रदेश 

नागद्वारी यात्रा प्रतिवर्ष श्रावण मास की नाग पंचमी के अवसर पर माह अगस्त में नागपंचमी से लगभग 10 दिन पूर्व प्रारंभ होती है। होशंगाबाद जिले के काजरी ग्राम से होकर जाना पड़ता है। यात्रा की व्यवस्था छिन्दवाड़ा एवं होशंगाबाद जिला मिलकर करता है। नागद्वारी की यात्रा जनपद पंचायत जुन्नारदेव के ढाकरवाडी ग्राम पंचायत के ग्राम निमोटी के नागदेव मंदिर से प्रारंभ होती है। यात्री वाहन से एवं पैदल मार्ग से नागद्वारी की यात्रा करते है। यात्री पैदल मार्ग द्वारा नागदेव मंदिर के दर्शन करने के पश्चात दमुआ से होते हुये कांगला, मच्छदरनाथ, गोरखघाट सतघघरी होते हुए ग्राम पंचायत झापिया के नागथाना होते हुए आलमोद से काजरी से नागद्वारी जाते है। यात्रा लगभग 30 किलो मीटर की होती है। यह यात्रा 3 दिन की होती है। सतपुडा के ऊंचे पहाड़ एवं झरनों नदी नालो को पार करते हुए यात्री पैदल यात्रा करते है। वाहन द्वारा यात्री ग्राम पंचायत ढाकरवारी के ग्राम निमोटी में नागदेव मंदिर के दर्शन के बाद जुन्नारदेव विषाला होते हुए तामिया से पचमढी पहुंचकर धूपगढ़ से पैदल नागद्वारी की यात्रा करते है। आमतौर पर यह यात्रा बरसात के मौसम में होती है। जिसके कारण यात्रियों को गिरते पानी में यात्रा करना पड़ता है। लोगो का मानना है कि यह यात्रा अमरनाथ जैसी कठिन यात्रा है। यह यात्रा पैदल ही होती है, यात्रा के दौरान घोड़े, खच्चर आदि की सुविधा नहीं है। यात्रा में  देनवा नदी एवं रास्ते में कई छोटे-छोटे नदी-नाले पड़ते है जिनको पार करते हुए चलना पड़ता है। सतपुडा की पहाडियों के बीच नालो एवं नदियों का करलव एवं पहाड़ों से गिरते हुए झरने मन मोह लेते है। नागद्वारी की गुफा लगभग 35 फीट लंबी है। रास्ते में काजली गांव पड़ता है जो चारो ओर से


नदियों से घिरा एवं पहाडियों से ढ़का हुआ है, ऊंचाई से देखने मे यह गांव व्यवस्थित लगता है। मानों किसी चित्रकार ने हर मकान, नदी, खेतों को अपने रंगो से रंगा हो। या़त्रयों के ठहरने के लिए बारिश से बचाने वाले टेंट लगाए जाते हैं। शौचालय की व्यवस्था एवं जगह-जगह डस्टबिन की व्यवस्था की जाती है,बड़ी-बड़ी गुफाए बनी है, जिसमें यात्री रूकते है। सामाजिक संस्थाओं द्वारा नि:शुल्क भंडारा का आयोजन किया जाता है। किसी भी राज्य के व्यकित को यात्रा करने के लिए पचमढ़ी तक पहुंचना ही होता है। क्योंकि यात्रा का मुख्य पड़ाव पचमढ़ी ही है। यात्रा की शुरूआत पचमढ़ी के धूपगढ से होती है। धूपगढ़ का सनसेट और फोटोग्राफी के लिए प्रसिद्ध है। धूपगढ़ गणेश टेकड़ी, काजली, पश्चिम द्वार, पदमशेष द्वार, अंबा माई यात्रा का अंतिम पड़ाव माना जाता है। नागद्वारी यात्रा में मुख्य पड़ाव स्वर्गद्वार तक पहुंचने के लिए दो पहाडिय़ों के बीच में सीढ़ी लगाई गई है। नागद्वारी को नागराज भी कहा जाता है। हमारे देश में विशेष मौसम में की जाने वाली यात्रा का किसी न किसी पर्व से जुड़ाव होता है। यह यात्रा श्रवण मास की नागपंचमी को की जाती है। क्विदंती के अनुसार भस्मासुर को वरदान देने के पश्चात जब भस्मासुर वरदान की सत्यता की जांच के लिए भगवान शंकर के पीछे दौड़ा तो उससे बचने के लिये भगवान शंकर ने नागराज को नागद्वारी में छोडकर स्वयं चौरागढ़ गए। दूसरी कहानी के अनुसार काजली ग्राम की महिला ने पुत्र प्राप्ति के लिए नागराज को काजल लगाने की मन्नत मांगी थी पुत्र प्राप्ति के पश्चात वह काजल लगाने पहुंची परन्तु नागराज का विषाल रूप देखकर वह मूर्छित हो गई एवं काजल नहीं ला पाई। नागराज ने अपना छोटा रूप धारण किया तब महिला ने उन्हे काजल लगाया। यात्रा लगभग 100 वर्ष पहले से शुरू है। घने जंगल, ऊंची पहाडियों की चोटियों के बीच कल-कल करती नदियां और झरनों का आकर्षण मन को मोह लेते हैं।



https://youtu.be/278DZgRlp6E

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