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Pataleshwar Shiv Mandir Chhindwara |
पातालेश्वर शिव मंदिर छिंदवाड़ा Pataleshwar Shiv Mandir Chhindwara :-
छिंदवाड़ा मुख्यालय में स्थित सिद्ध स्थल पातालेश्वर शिव मंदिर छिंदवाड़ा Pataleshwar Shiv Mandir Chhindwara में महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर स्थानीय भक्तों के साथ-साथ दूर-दराज से हजारों की संख्या में भक्त भोलेनाथ के दर्शन एवं जल अर्पित करने यहां पहुंचते हैं। रेलवे स्टेशन के पास स्थित इस मंदिर का इतिहास लगभग 254 वर्ष पुराना है।
पाताल से शिवलिंग प्रगट होने की वजह से इस मंदिर का नाम पातालेश्वर पड़ा। बताया जाता है कि गुजरात के एक ब्रम्हचारी नागा साधु गंगा गिरी बाबा छिंदवाड़ा पहुंचे थे। उन्होंने कुछ समय के लिए यहां रूके थे। गोस्वामी संप्रदाय के गंगा गिरी सिद्ध पुरुष थे और सफेद घोड़े पर सवार होकर चलते थे। यहां रहते हुए उन्होंने धूनी रमाई और नित्य की तरह शिव पूजा की। इसी दौरान रात में स्वप्न में उन्हें साक्षात शिव के दर्शन हुए। उन्हें अपने अवतार लेने का रहस्य और प्रयोजन बताया। अगले दिन साधु ने उस स्थान की खुदाई करवाई और ठीक स्वप्न के हिसाब से नियत दूरी व गहराई पर शिव प्रकट हुए।
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पातालेश्वर शिव मंदिर छिंदवाड़ा |
पीपल में देवी जी का वास
यहां मंदिर के दाई तरफ पीपल के वृक्ष में देवी का वास माना जाता है। पीपल के पेड़ के साथ-साथ नीम का पेड़ भी स्थत है। श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां रात में देवी भ्रमण करती हैं। इसका आभास उनकी पायल के घुंघरूओं की मधुर ध्वनि से होता है।
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पीपल में देवी का वास |
पातालेश्वर मंदिर में एक बावली है। बावली में गंगा गिरी बाबा जी ने मछलियां पाली थी। बताया जाता है कि इनमें से कुछ मछलियों को सोने की नथ पहनाई गई थी जो लोगों को बहुत आकर्षित करती थी। लोगों का कहना है कि इन मछलियों का शिकार करना पूर्वत: वर्जित था। बाबाजी की गैरमौजूदगी में किसी ने एक बार उनका शिकार कर लिया तो अगली सुबह वह मरा हुआ पाया गया।
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पातालेश्वर मंदिर प्राचीन बावड़ी |
पातालेश्वर शिव मंदिर छिंदवाड़ा
मंदिर परिसर में हनुमान मंदिर, बड़ का पेड़, शिव भगवान जी की मूर्ति एवं प्राचीन शिव लिंग स्थत है।